IPL 2025: बेंगलुरु की उनके घर में एक और हार, पंजाब ने बारिश से बधित मुक़ाबले में 5 विकेट से हराया
स्पोर्ट्स डेस्क- रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए कई साल से घर में प्रदर्शन करना चुनौती रही है। वह अपने घर...
नोएडा: गौतमबुद्ध नगर के कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में जिला शुल्क नियामक समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस अहम बैठक में जिले के निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि और अभिभावकों पर लगाए जा रहे अन्य आर्थिक दबावों की समीक्षा की गई। बैठक में सामने आया कि तीन स्कूलों ने फीस में तय सीमा (5% + उपभोक्ता मूल्य सूचकांक - CPI) से अधिक वसूली की है, जबकि 76 अन्य स्कूलों ने फीस वृद्धि की जानकारी ही समिति को नहीं दी। जिनपर जुर्माना लगाया गया है।
तीन स्कूलों को नोटिस, फीस वापसी के आदेश
अमर पब्लिक स्कूल सेक्टर-37 नोएडा, पारस पब्लिक स्कूल मिल्क लिच्छी और संत किशोरी विद्या मंदिर सेक्टर-158 में नोएडा द्वारा तय सीमा से अधिक फीस वसूली की गई। इन स्कूलों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है। साथ ही डीएम ने निर्देश दिए कि छात्रों से वसूली गई अतिरिक्त फीस तत्काल वापस की जाए।
76 स्कूलों पर ₹1 लाख का जुर्माना
जिले के अन्य 76 निजी स्कूलों ने नए शैक्षणिक सत्र में की गई फीस वृद्धि की जानकारी समिति को नहीं दी। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए जिलाधिकारी ने प्रत्येक स्कूल पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
ड्रेस और किताबों की खरीद पर जबरदस्ती नहीं चलेगी
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कोई भी स्कूल अभिभावकों को ड्रेस, जूते, मौजे या किताबें किसी विशेष स्थान या विक्रेता से खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यदि ऐसा पाया गया तो संबंधित स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि अभिभावकों की सहमति के बिना किसी तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्कूलों की जांच के लिए बनाई गई समितियां
स्कूलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए सात जांच समितियों का गठन किया गया है। इनमें सिटी मजिस्ट्रेट, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हैं। ये समितियां सुनिश्चित करेंगी कि जिले में किसी भी स्कूल द्वारा नियमों का उल्लंघन न किया जाए और छात्रों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से न गुजरना पड़े।
फीस वृद्धि से पहले जरूरी है पारदर्शिता
डीएम मनीष कुमार वर्मा ने यह भी निर्देश दिए कि यदि किसी स्कूल द्वारा शिक्षक या कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की जाती है, तो उसकी जानकारी और आधार के साथ फीस वृद्धि का प्रस्ताव 60 दिन पहले वेबसाइट पर अपलोड किया जाए और जिला शुल्क नियामक समिति को सूचित किया जाए।
नियमों का पालन नहीं तो कार्रवाई तय
जिलाधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 का सख्ती से पालन कराया जाएगा। उन्होंने सभी स्कूलों से अपील की कि वे पारदर्शिता के साथ कार्य करें और छात्रों एवं अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न डालें।
इस तरह जिला प्रशासन ने साफ संदेश दे दिया है कि अब शिक्षा के नाम पर किसी भी तरह की मनमानी नहीं चलेगी और नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को जवाबदेह बनना ही पड़ेगा।
Community Feedback