नई दिल्ली: गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम आदेश जारी कर नये प्रावधानों पर तक रोक लगा दी है। इस आदेश के तहत सरकार अभी नए कानून के कुछ हिस्सों को लागू नहीं कर सकेगी।
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगने का अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजो के साथ प्रारंभिक जवाब के लिए समय दिया जाए, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को 7 दिनों के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिए हैं। कोर्ट की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के प्रमुख बिंदु-
वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में नई नियुक्तियों पर रोक
नए कानून के प्रावधानों के तहत वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में हर तरह की नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। यानी गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति सहित कोई भी नया बदलाव फिलहाल नहीं किया जा सकता है।
वक्फ संपत्तियों की स्थिति में बदलाव पर रोक
कोर्ट का आदेश है कि 'वक्फ-बाय-यूजर' या 'वक्फ-बाय-डीड' के तहत घोषित किसी भी संपत्ति का वक्फ दर्जा नहीं हटाया जा सकेगा। इसका मतलब है कि ऐसी संपत्तियों को सरकारी जमीन घोषित करने या उनके स्वामित्व में किसी तरह का बदलाव करने की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक रहेगी।
जिलाधिकारी की जांच पर अस्थायी रोक
नए कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्ति पर विवाद होने की स्थिति में जिलाधिकारी जांच पूरी होने तक इसे वक्फ संपत्ति के रूप में मान्य नहीं करेगा। कोर्ट ने इस प्रावधान को लागू करने पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिससे ऐसी संपत्तियों की स्थिति ऐसी ही रहेगी।
कोर्ट के इस आदेश के बाद वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के नेताओं में खुशी देखने को मिली है। कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि "अंतरिम राहत के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का आभारी हूं> कोर्ट ने लगभग उन सभी मुद्दों को संज्ञान में लिया जो जो हमने संसद में उठाए थे। आज के फैसले से पता चलता है कि यह कानून संविधान के खिलाफ बनाया गया है। यह जीत किसी पक्ष की नहीं बल्कि संविधान की जीत है। आने वाले दिनों में कोर्ट और भी राहत देगा और सरकार की जमीन हड़पने की साजिश को रोकेगा।"
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, "हम इस कानून को असंवैधानिक मानते हैं...सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ परिषद का गठन नहीं किया जाएगा और 'वक्फ बाय यूजर' को हटाया नहीं जा सकता...जेपीसी के विचार-विमर्श के दौरान मैंने सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों का विरोध करते हुए एक रिपोर्ट दी...इस कानून के खिलाफ हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।"
बता दें कि विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण करार देते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, मोहम्मद जावेद और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिकाओं सहित 72 याचिकाएं अधिनियम को चुनौती देते हुए कोर्ट में दायर की गई हैं। सभी याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26 और 300-ए का उल्लंघन करता है।
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