गर्मियों में पपीता क्यों है सेहत का सुपरफूड?... जानिए चौंकाने वाले 5 फायदे
हेल्थ डेस्क: भीषण गर्मी आ चुकी है और ऐसे में शरीर का हाइड्रेट होना आवश्यक है। गर्मी में हमें ऐसे...
वंदना कटारिया ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से सन्यास ले लिया। वंदना महिला हॉकी की सबसे दिग्गज खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने 15 साल के अपने लंबे करियर में 320 मुक़ाबले खेले हैं, उनके नाम 158 गोल दर्ज हैं। वह भारत की तरफ से महिला हॉकी का एक बहुत बड़ा नाम रहीं हैं। भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय हॉकी में सब से ज़्यादा मुक़ाबले भी इसी खिलाड़ी के नाम हैं। वंदना कटारिया ने फरवरी में भुवनेश्वर में एफआईएच प्रो लीग में भारत के लिये अपना आखिरी मैच खेला था।
इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा,"आज भारी लेकिन कृतज्ञ मन से मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं. यह फैसला सशक्त करने वाला और दुखी करने वाला दोनों है. मैं इसलिए नहीं हट रही हूँ क्योंकि मेरे अंदर की आग मंद पड़ गई है या मेरे भीतर हॉकी नहीं बची है बल्कि इसलिए क्योंकि मैं अपने कैरियर के शिखर पर संन्यास लेना चाहती हूं, जबकि मैं अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हूं."
उन्होंने कहा,"यह विदाई थकान की वजह से नहीं है. यह अंतरराष्ट्रीय मंच को अपनी शर्तों पर छोड़ने का एक विकल्प है, मेरा सिर ऊंचा रहेगा और मेरी स्टिक अभी भी आग उगल रही होगी. भीड़ की गर्जना, हर गोल का रोमांच और भारत की जर्सी पहनने का गर्व हमेशा मेरे मन में गूंजता रहेगा."
उन्होंने यह भी कहा,"लेकिन मेरी कहानी यहां खत्म नहीं होती. यह नयी शुरूआत है. मैं हॉकी उठाकर नहीं रखूंगी. मैं खेलती रहूंगी. हॉकी इंडिया लीग में और उसके अलावा भी. टर्फ पर अभी भी मेरे कदम पड़ेंगे और खेल के लिये मेरा जुनून कम नहीं होगा." उन्होंने कहा,"मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं लेकिन हर स्मृति, हर सबक और सारा प्यार साथ लेकर जा रही हूं."
वंदना 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा भी रहीं हैं। वहां उन्होंने हैट्रिक भी लगाई. ऐसा करनी वाली वह पहली और इकलौती भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.
वंदना ने 2016 और 2023 महिला एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी के साथ-साथ 2018 एशियाई खेलों और 2018 चैम्पियंस ट्रॉफी में रजत पदक भी जीता. वह 2022 राष्ट्रमंडल खेल, 2014 और 2022 एशियाई खेल और 2021-22 एफआईएच प्रो लीग में कांस्य जीतने वाली टीम में भी थी.
उन्होंने यह भी कहा,"लेकिन मेरी कहानी यहां खत्म नहीं होती. यह नयी शुरूआत है. मैं हॉकी उठाकर नहीं रखूंगी. मैं खेलती रहूंगी. हॉकी इंडिया लीग में और उसके अलावा भी. टर्फ पर अभी भी मेरे कदम पड़ेंगे और खेल के लिये मेरा जुनून कम नहीं होगा." उन्होंने कहा,"मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं लेकिन हर स्मृति, हर सबक और सारा प्यार साथ लेकर जा रही हूं."
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