IPL 2025: ऋतुराज गायकवाड़ चोट के चलते बाहर, एम एस धोनी करेंगे चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी
स्पोर्ट्स डेस्क- आईपीएल इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर चेन्नई सुपर किंग्स...
उत्तराखंड के एक गांव की रहने वाली दिव्यांग युवती अंकिता तोपाल करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं। उन्होंने जेआरएफ परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया। चमोली जिले के डिडोली गांव में रहने वाली अंकिता तोपाल के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन अंकिता ने कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और इन चुनौतियों से जूझते हुए अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव प्रयास करने लगी। इसमें उनके माता पिता ने भी उनका साथ दिया और आखिरकार जेआरएफ जैसा कंपटीटिव एग्जाम क्लीयर किया। यह खबर पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गई है। अंकिता ने बचपन से ही अपने पैरों को अपने हाथों की तरह इस्तेमाल करना सीख लिया। जहां दूसरे बच्चों ने हाथों से कलम पकड़कर लिखना शुरू किया। तब अंकिता ने अपने पैरों से कलम पकड़कर अक्षरों को लिखना शुरू कर दिया। हालांकि शुरुआत में यह बेहद कठिन था, लेकिन अपने अटूट साहस और दृढ़ निश्चय के बल पर अंकिता ने यह कठिन चुनौती भी पार कर लीष उन्होंने अपने पैरों को हाथों की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
स्कूली शिक्षा के दौरान अंकिता ने कभी अपनी दिव्यांगता को अपने सपनों के बीच रोड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने देवाल विकासखंड से 10वीं की परीक्षा पास की और फिर ऋषिकेश से 12वीं की परीक्षा में भी सफलता हांसिल की। उच्च शिक्षा के लिए अंकिता देहरादून चली गईं, जहां उन्होंने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, अंकिता ने रिसर्च के लिए पीएचडी की पढ़ाई शूरू की और जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया, जो भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए अंकिता ने खुद को पूरे दो साल समर्पित किए। रात-दिन एक करके, वे अपने पैरों से नोट्स बनाती, किताबें पढ़ती और प्रैक्टिस प्रश्नों को हल करती रहीं।
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