एंटरटेनमेंट डेस्क- आज से करीब 68 साल पहले रिलीज़ हुई एक फिल्म जिसका नाम मदर इंडिया था भारतीय सिनेमा के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखी जाती है। इस फिल्म में एक भारतीय महिला की मज़बूती और उसके आत्मसम्मान को दर्शाया गया है। भारत में चल रहे मुद्दे जैसे कि ग़रीबी, संघर्ष और सामाजिक न्याय को इस फिल्म में प्रभावी ढंग से दिखाया गया है।


यह फिल्म इतनी सफल रही कि इसे 30वें अकादमी पुरस्कारों (ऑस्कर) में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए नॉमिनेट हो गई। यह भारत के लिए उस समय बहुत बड़ी उपलब्धि थी। ऑस्कर में मदर इंडिया को सामना फेडेरिको फेलिनी की फिल्म नाइट्स ऑफ कैबिरिया से हुआ जहां एक कांटे की टक्कर में मदर इंडिया मात्र एक वोट से ऑस्कर हार गयी।


यह हार भारतीय सिनेमा के लिए बेहद दुखदायी थी लेकिन साथ ही में यह बहुत गर्व की बात भी थी किसी भारतीय फिल्म को विश्व पटल पर इतनी पहचान मिली थी। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई और इसके बाद कई भारतीय फिल्में और गानें जैसे स्लमडॉग मिलियनेयर (2008) जिसने दो ऑस्कर जीते – सर्वश्रेष्ठ मूल स्कोर और सर्वश्रेष्ठ मूल गीत ("जय हो"), नाटू नाटू (2023) जो कि “RRR” फिल्म में गीत था सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का ऑस्कर जीता।

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