गाजियाबाद- गाजियाबाद जल निगम गेस्ट हाउस में प्रेस को सम्बोधित करते हुए बीजेपी मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साहस का परिचय देते हुए जातीय जनगणना कराये जाने का फैसला लेकर भारत की राजनीति में एक नया इतिहास लिखने का काम किया है। जातीय जनगणना कराने से विशेष कर भारत के अन्य पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग के लोगों को अपनी संख्या की पहचान होगी और संख्या के अनुसार संवैधानिक अधिकारों को पाने अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री के इस ऐतिहासिक फैसले का ओबीसी मोर्चा, उ0प्र0 एवं ओबीसी समाज उ0प्र0 हृदय से आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करता है और प्रधानमंत्री के इस ऐतिहासिक फैसले के लिए उ0प्र0 ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश का ओबीसी समाज ऋणी भी रहेगा।


आगे उन्होंने कहा कि देश इस बात को जानता है कि अन्तिम रूप से जातीय जनगणना आजादी के पूर्व वर्ष 1931 में हुई थी। 94 वर्ष का लम्बा अन्तराल ऐसा गुजरा जिसमें अधिकांश समय में कांग्रेस पार्टी या गैर भाजपा दलो की सरकारे देश में रही है लेकिन अफसोस कि मोदी के अलावा गैर भाजपाई किसी भी सरकार ने जातीय जनगणना कराने का कभी साहस नहीं जुटाया और आज उनकी पार्टी के नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव तथा तेजस्वी यादव जैसे अनेको पिछड़ा विरोधी सोच रखने वाले, आज मोदी के जातीय जनगणना कराने के फैसले का श्रेय लेने की होड़ में खड़े हो गये हैं। अच्छा होता कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल तथा बहुजन समाज पार्टी आदि सभी गैर भाजपाई दलों के नेता भारत के पिछड़े वर्ग के लोगों से माफी मांगते।


उन्होंने बताया कि देश में गांधी परिवार से 03 प्रधानमंत्री बने हैं जिनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू, इन्दिरा गांधी के अलावा राजीव गांधी। क्या कभी गांधी परिवार ने ओबीसी समाज के लोगों के इस दर्द को समझा? देश जानता है कि नहीं समझा। और समझता भी क्यों, क्योंकि गांधी परिवार तो हमेशा आरक्षण का विरोधी रहा है, ओबीसी समाज का विरोधी रहा है, दलितो का विरोधी रहा है। गांधी परिवार की यह आरक्षण विरोधी नियत देश के सामने उस समय उजागर हो गयी थी जब 1955 के काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को पं0 जवाहरलाल नेहरू ने लागू नहीं होने दिया और 1980 में बी.पी. मण्डल आयोग की रिपोर्ट का तो खुलकर संसद एवं सड़क पर गांधी परिवार ने विरोध किया और सच तो यह भी है कि यदि 1990 में भाजपा के समर्थन से बी.पी. सिंह की सरकार नहीं बनी होती तो देश को कभी ओबीसी के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण भी नहीं मिला होता। कांग्रेस पार्टी की नियत यदि ओबीसी समाज के लिए ठीक होती तो इस समाज को आरक्षण का लाभ 1990 से नहीं बल्कि आजादी के तुरन्त बाद से मिलना था। आज ओबीसी समाज भारत की मुख्यधारा से जुड़ा होता तथा बराबरी का स्थान व सम्मान पा चुका होता।


मंत्री नरेन्द्र कश्यप ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सही मायनों में देश की 140 करोड़ जनता के रहनुमा है, जिन्होंने ‘‘सबका साथ सबका विकास‘‘ की अवधारणा पर सबको आगे बढ़ाने का काम किया है। ओबीसी समाज के लिए तो प्रधानमंत्री मोदी देव के समान है, जिन्होंने ओबीसी समाज के दर्द व मर्म को समझा। आज भारत के अन्दर ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिला। ओबीसी के चेयरमैन को कैबनेट मंत्री का दर्जा मिलना, नीट परीक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना, केन्द्रीय एवं सैनिक विद्यालयों में 27 प्रतिशत रिजर्वरेशन मिलना, क्रीमिलेयर आय सीमा को 8 लाख तक बढ़ाना तथा केन्द्रीय कैबनेट में 27 प्रतिशत पिछड़े सांसदों को मंत्री बनाना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं, वह नरेन्द्र मोदी की ही सरकार में हुआ है।


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