बेहतर लाइफस्टाइल कर सकता है कैंसर के खतरे को कम.. आज से ही छोड़ दें ये आदतें
हेल्थ डेस्क- कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही लाइफस्टाइल अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा...
एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) ने गुरुवार को भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में केस दायर किया। कंपनी ने केंद्र सरकार पर आईटी अधिनियम का दुरुपयोग कर कंटेंट को अनुचित तरीके से ब्लॉक करने का आरोप लगाया है। एक्स ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 79 (3) (b) का गलत तरीके से प्रयोग कर रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के फ्री एक्सप्रेशन ऑनलाइन को बाधित करती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार इसके जरिए एक पैरेलल कंटेंट ब्लॉकिंग तंत्र बना रही है, जिससे कानूनी रूप से निर्धारित धारा 69 A की प्रक्रिया को दरकिनार किया जा रहा है। एक्स की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार आईटी अधिनियम की धारा 69 A के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या समप्रभुता से जुड़े मामलों में सामग्री हटाने का आदेश दे सकती है। इस धारा (69A) में बताया गया है कि सरकार किन परिस्थितियों में इंटरनेट के कंटेंट को ब्लॉक कर सकती है। इसमें कंपनी ने 2015 के श्रेया सिंघल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। एक्स ने सरकार की ओर से विकसित "सहयोग पोर्टल" पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह एक प्रकार का "सेंसरशिप टूल" है, जिससे कंपनियों पर बिना उचित कानूनी जांच के सामग्री हटाने का दबाव बनाया जाता है। एक्स ने अदालत में कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को हर दिन लाखों पोस्ट मॉनिटर करने के लिए मजबूर करना तकनीकी रूप से असंभव है और यह अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन करता है। कंपनी ने इस तरीके को ऑनलाइन कम्युनिकेशन को कंट्रोल करने का प्रयास बताया है और इसे डिजिटल सेंसरशिप की दिशा में एक खतरनाक कदम करार दिया है। अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और क्या यह मुकदमा भारत में डिजिटल सेंसरशिप और सोशल मीडिया नियमों से जुड़े कानूनी पहलुओं पर कोई नया दृष्टिकोण पेश करेगा।
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