गौतमबुद्धनगर- आज (5 अप्रैल) नोएडा के व्यापारियों ने मीडिया क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। उन्होंने बताया कि हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (HHEWA) ने अमेरिका द्वारा भारत के उत्पादों पर लगाए गए पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariffs) को भारतीय निर्यातकों के लिए एक सुनहरा अवसर बताया है। HHEWA ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है, जिनकी कूटनीति से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत की दिशा तय हो पाई है।
एसोसिएशन का मानना है कि अगर भारत अपने हैंडमेड और हैंडलूम उत्पादों को अमेरिकी बाजार की जरूरतों के अनुसार ढाल लेता है, तो वह इस मौके का लाभ उठाकर बड़ा निर्यात बढ़ा सकता है। HHEWA ने सुझाव दिया है कि भारत के हस्तशिल्प निर्माता अब अमेरिकी बाजार के लिए ज्यादा मात्रा में उत्पाद तैयार करें, क्योंकि वहां की जनता हस्तनिर्मित चीजों की बहुत सराहना करती है।
अमेरिका में इन उत्पादों की भारी मांग है। लकड़ी का फर्नीचर, कपड़ा, धातु के उत्पाद, अगरबत्ती, तेल, हस्तशिल्पित गिफ्ट आइटम जैसे कई उत्पाद वहां पसंद किए जाते हैं। एसोसिएशन के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति ने 2025 से सभी देशों पर 10% शुल्क और भारत जैसे देशों पर 27% शुल्क लागू किया है, जिसका असर भारत के पारंपरिक उत्पादों पर होगा।
लेकिन HHEWA का मानना है कि यह संकट नहीं, बल्कि एक अवसर है। क्योंकि अब भारतीय उत्पाद अमेरिका में गुणवत्ता, कला और मूल्य के आधार पर प्रतिस्पर्धा में आगे आ सकते हैं। साथ ही यह भी उम्मीद जताई गई है कि यह शुल्क अस्थायी है और भारत सरकार की बातचीत से इसमें राहत मिल सकती है।
वर्तमान में भारत अमेरिका को हर साल लगभग $41.75 बिलियन का निर्यात करता है, जिसमें हस्तशिल्प और हैंडलूम का बड़ा हिस्सा है। यह आंकड़ा $87.40 बिलियन तक पहुंच सकता है अगर इस अवसर का सही उपयोग किया जाए।
HHEWA ने यह भी बताया कि वह लगातार वाणिज्य मंत्रालय, EPCH और HEPC के संपर्क में है ताकि भारतीय निर्यातकों को आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके।
टैरिफ संकट के इस समय को अवसर में बदलने के लिए भारतीय हस्तशिल्प उद्यमियों को गुणवत्ता और डिजाइन पर ध्यान देते हुए अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी।
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