ग़ाज़ियाबाद- केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है कि, अगर किसी हाउसिंग सोसाइटी की मेंटेनेंस फीस ₹7,500 प्रति माह से अधिक है, तो उस पर मालिक को 18% जीएसटी देना होगा। यह नियम खास तौर पर उन लोगों को प्रभावित करेगा जो बड़े शहरों में हाई-एंड अपार्टमेंट्स या लग्जरी सोसाइटीज में रहते हैं, जहां मेंटेनेंस फीस आमतौर पर ₹7,500 से ₹15,000 या उससे भी ज्यादा होती है। इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति के पास एक से ज्यादा फ्लैट हैं, तो हर फ्लैट की मेंटेनेंस फीस पर अलग-अलग जीएसटी लागू होगा।


उदाहरण के लिए, अगर आपकी मासिक मेंटेनेंस फीस ₹10,000 है, तो 18% जीएसटी के हिसाब से आपको हर महीने ₹1,800 अतिरिक्त देने होंगे। यानी सालाना ₹21,600 का अतिरिक्त खर्च। जिनके पास दो या तीन फ्लैट हैं, उनके लिए यह राशि और भी ज्यादा होगी। बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और पुणे में, जहां मेंटेनेंस फीस पहले से ही अधिक है, यह नया नियम मध्यमवर्गीय और उच्च-मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।


सरकार के इस फैसले से हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। कई लोगों का कहना है कि मेंटेनेंस फीस में पहले ही बिजली, पानी, सिक्योरिटी और लिफ्ट जैसे खर्च शामिल होते हैं, और अब उस पर जीएसटी लगाना अन्यायपूर्ण है। कुछ निवासी संगठनों ने इस नियम के खिलाफ आवाज उठाने की बात कही है और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।


सरकार ने यह तर्क दिया है कि मेंटेनेंस फीस एक तरह की सेवा है, और जीएसटी के दायरे में इसे लाना टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी बनाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर को और मुश्किल में डाल सकता है, जो पहले से ही मंदी और महंगाई की मार झेल रहा है। फिलहाल, जिन सोसाइटीज की मेंटेनेंस फीस ₹7,500 से कम है, उन्हें इस जीएसटी से छूट मिलेगी। लेकिन बड़े और मध्यम आकार के शहरों में ऐसी सोसाइटीज की संख्या कम है।


यह नया नियम फ्लैट मालिकों के लिए रहन-सहन को और महंगा करने वाला है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगर आप हाउसिंग सोसाइटी में रहते हैं, तो अपनी सोसाइटी के साथ मिलकर मेंटेनेंस खर्चों की समीक्षा करें और देखें कि क्या कुछ अनावश्यक खर्चों को कम किया जा सकता है। साथ ही, इस नियम के खिलाफ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के जरिए सामूहिक अपील भी की जा सकती है। इस नियम से यह तो साफ हो गया है कि फ्लैट में रहना अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा होने जा रहा है।

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