गाजियाबाद- मंगलवार को एमएमजी और जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। नेत्र, हड्डी और नाक-कान-गला (ईएनटी) विभागों की ओपीडी लगभग ठप रही, जिससे कई मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर हुए। एमएमजी अस्पताल में 2157 नए और 1200 पुराने मरीज पहुंचे, जबकि संयुक्त जिला अस्पताल में 795 नए और 206 पुराने मरीज आए।
हालांकि, डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण अधिकांश मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। एमएमजी में कुछ मरीजों ने ट्रेनी डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन यह सुविधा भी सीमित थी।
नेत्र विभाग में सबसे ज्यादा अव्यवस्था
एमएमजी अस्पताल के नेत्र विभाग में तीन डॉक्टरों में से एक, डॉ. नरेंद्र, पुलिस लाइन में ड्यूटी पर थे, जबकि डॉ. हर्षवर्धन अवकाश पर थे। तीसरे डॉक्टर, डॉ. प्रताप, बिना सूचना के ओपीडी से चले गए। नतीजतन सुबह से दोपहर तक मरीजों की लंबी कतारें लगी रहीं, लेकिन इलाज नहीं हो सका। नेत्र विभाग में रोजाना 150 से 175 मरीज इलाज के लिए आते हैं और मंगलवार को इनमें से अधिकांश को निराशा ही हाथ लगी।
अन्य विभागों का भी यही हाल
हड्डी और ईएनटी विभागों में भी डॉक्टरों की कमी के कारण ओपीडी सेवाएं प्रभावित रहीं। मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और तत्काल समाधान की मांग की। कई मरीजों ने निजी अस्पतालों का रुख किया, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ी।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी
अस्पताल प्रशासन ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति और ओपीडी में अव्यवस्था की समस्या लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को तुरंत पूरा किया जाए और ओपीडी सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। साथ ही, डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारणों की जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करने की भी मांग उठ रही है।
Community Feedback